नाना के पास रह रहे बच्चों को हर महीने गुजारा भत्ता दे पिता: बॉम्बे हाई कोर्ट

नाना के पास रह रहे बच्चों को हर महीने गुजारा भत्ता दे पिता: बॉम्बे हाई कोर्ट

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने नाना के पास रहनेवाले बच्चों के पिता को गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने बच्चों की पढ़ाई की जरूरत को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सेशन कोर्ट द्वारा दो बच्चों के लिए तय की गई 3 हजार रुपये की रकम पर्याप्त नहीं है। लिहाजा दोनों बच्चों के वयस्क होने तक उनके पिता को हर माह चार हजार रुपये मेनटिनेंस देना होगा। मेनटिनेंस की रकम 5,500 को घटाने के सेशन कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

बच्चों की मां ने की थी आत्महत्या

बच्चों की मां ने 27 जून 2012 को आत्महत्या कर ली थी। मामला दर्ज होने के बाद बच्चों का पिता जेल में सजा काट रहा था। इसलिए दोनों बच्चे अपने नाना-नानी के पास रहते थे। जेल से छूटने के बाद पिता ने बच्चों की कस्टडी के लिए अर्जी की थी। चूंकि पिता के खिलाफ आपराधिक केस पेंडिंग था। इसलिए कोर्ट ने बच्चों की कस्टडी देने से इनकार कर दिया। मैजिस्ट्रेट कोर्ट के मेनटिनेंस के आदेश को पिता ने सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद 5,500 रकम को घटाकर तीन हजार रुपये कर दिया था।

जस्टिस शर्मिला देशमुख के सामने बच्चों के नाना की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान बच्चों के पिता का पक्ष रख रहे वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल किसान है। इसलिए मेनटिनेंस के रूप में ज्यादा रकम दे पाना उनके लिए संभव नहीं है। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने बच्चों की भलाई और शिक्षा का हवाला देकर मेनटिनेंस की रकम को बढ़ाने का आग्रह किया था। इस दौरान बच्चों के पिता की जमीन से जुड़े रिकॉर्ड को पेश किया गया। जस्टिस देशमुख ने कहा कि हमारे सामने बच्चों के पिता की आमदनी को लेकर कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन बच्चों की शिक्षा की जरूरत को देखते हुए उनके पिता को हर माह चार हजार रुपये का भुगतान करना होगा।

शशि मिश्रा के बारे में

शशि मिश्रा

“शशि पांडेय ने 2007 में पत्रकारिता की शुरुआत अमर उजाला से की। फिर दैनिक जागरण कानपुर से घिसाई। सहारा में पॉलिशिंग और नवभारत टाइम्स में मिली ऐसी चमक जो अभी तक बरकरार है। शौक़: लिखना, घूमना और नये लोगों से नई- नई जानकारियां लेना. फ़ंडा: जीवन में हर किसी के पास दो रास्ते होते हैं, भाग लो (Run) या भाग लो (Part). मेरी लाइफ का फ़ंडा, भागने की जगह भाग लेना है.”… Read More

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